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बेहतर से बेहतर की तलाश करो,
मिल जाए नदी तो समंदर की तलाश करो,
टूट जाता है शीशा पत्थर की चोट से,
टूट जाए पत्थर ऐसा शीशा तलाश करो।
हम-नशीं मत कह कि बरहम कर न बज़्म-ए-ऐश-ए-दोस्त
वाँ तो मेरे नाले को भी ए’तिबार-ए-नग़्मा है
अब लगता है कि मेरे दिन भी भर गए।
महफील सूनी और बंदबं कमरे भर गए।।
आप मिले थे हमको वो एक दौर था मेरा।
अब, अब की क्या कहें वो वक्त भी तो गुजर गए।।
आप चाहते तो हम आपको आईना भी बना लेते।
आप तो, आप हैं पत्थर पर मर गए।।
More Shayari
Motivational Shayari

“किसी का दिल टूटने पर भी मुस्कुराने की हिम्मत रखो,
क्योंकि ज़िंदगी यूँ ही चलती रहती है।”
~ अज्ञात
ख़ुद से प्यार करना सीखो,
लोगों का क्या,
आज तुम्हारे हैं,
कल किसी और के हो जाएँगे।

“किसी का दिल टूटने पर भी मुस्कुराने की हिम्मत रखो,
क्योंकि ज़िंदगी यूँ ही चलती रहती है।”
~ अज्ञात

“किसी का दिल टूटने पर भी मुस्कुराने की हिम्मत रखो,
क्योंकि ज़िंदगी यूँ ही चलती रहती है।”
~ अज्ञात
जला के मिशअल-ए-जाँ हम जुनूँ-सिफ़ात चले
जो घर को आग लगाए हमारे साथ चले

“किसी का दिल टूटने पर भी मुस्कुराने की हिम्मत रखो,
क्योंकि ज़िंदगी यूँ ही चलती रहती है।”
~ अज्ञात
ऐ ‘ज़ौक़’ तकल्लुफ़ में है तकलीफ़ सरासर,
आराम में है वो जो तकल्लुफ़ नहीं करता।
Festival Shayari

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

तासीर-ए-बर्क़-ए-हुस्न जो उन के सुख़न में थी
इक लर्ज़िश-ए-ख़फ़ी मिरे सारे बदन में थी
~ Hasrat Mohani
तासीर-ए-बर्क़-ए-हुस्न जो उन के सुख़न में थी इक लर्ज़िश-ए-ख़फ़ी मिरे सारे बदन में थी
इन्हीं गम की घटाओं से खुशी का चांद निकलेगा, अंधेरी रात के पर्दों में दिन की रोशनी भी है।

खुशियां ढूंढते-ढूंढते कहीं खो गया हूं मैं,
अब तो ग़म भी अपना सा लगता है।
~ अज्ञात
खुशियां ढूंढते-ढूंढते कहीं खो गया हूं मैं, अब तो ग़म भी अपना सा लगता है।
Funny Shayari
अज्ञात

किसी ने मुझे बताया कि पक्षियों के लिए पानी रखने से अच्छी पत्नी मिलती है,
तब से पक्षियों के लिए कटोरी में रूआबजा रखने लगा हूँ!
~ अज्ञात

तुम्हारा नाम आया और हम तकने लगे रस्ता
तुम्हारी याद आई और खिड़की खोल दी हम ने
~ मुनव्वर राना
तुम्हारा नाम आया और हम तकने लगे रस्ता तुम्हारी याद आई और खिड़की खोल दी हम ने

हम तो इतने रोमान्टिक है की हम अगर थोड़ी देर,
मोबाइल हाथ मै लेले.. तो वो भी गरम हो जाता है……!!!
~ अज्ञात
हम तो इतने रोमान्टिक है की हम अगर थोड़ी देर, मोबाइल हाथ मै लेले.. तो वो भी गरम हो जाता है……!!!

वो शमा की महफ़िल ही क्या,
जिसमे दिल खाक ना हो,
मज़ा तो तब है चाहत का,
जब दिल तो जले, पर राख ना हो।
~ अज्ञात
वो शमा की महफ़िल ही क्या, जिसमे दिल खाक ना हो, मज़ा तो तब है चाहत का, जब दिल तो जले, पर राख ना हो।

जमाने के लिए आज होली है,
मुझे तो तेरी यादे रोज रंग देती है……!!!
~ अज्ञात
जमाने के लिए आज होली है, मुझे तो तेरी यादे रोज रंग देती है……!!!

तू चाँद और मैं सितारा होता,
आसमान में एक आशियाना हमारा होता,
लोग तुम्हे दूर से देखते,
नज़दीक़ से देखने का हक़ बस हमारा होता……!!!
~ अज्ञात
तू चाँद और मैं सितारा होता, आसमान में एक आशियाना हमारा होता, लोग तुम्हे दूर से देखते, नज़दीक़ से देखने का हक़ बस हमारा होता……!!!
अज्ञात
“दिल के हर कोने में बस तुम्हारी यादें हैं, जो कभी खत्म नहीं होंगी।”
View Shayariअज्ञात
“कुछ टूटे रिश्ते इस तरह जुड़ जाते हैं, कि दिल से जाने का दर्द भी नहीं जाता।”
View Shayariअज्ञात
हर किसी को नहीं मिलती यहां सच्ची खुशी, कई बार जिंदगी में बस ग़म ही हमारे साथी होते हैं।
View Shayariअज्ञात
“दिल के रिश्तों में हर दर्द अब तुम्हारा नाम लेता है, क्योंकि वो कभी भूलने वाला नहीं है।”
View Shayariवो तुझे भूलें हैं तो तुझपे भी लाज़िम है ‘मीर’,
वो तुझे भूलें हैं तो तुझपे भी लाज़िम है ‘मीर’, ख़ाक डाल, आग लगा, नाम न ले, याद न कर…!!
अज्ञातसर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा,
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा, इतना मत चाहो उसे वो बेवफ़ा हो जाएगा…!!
अज्ञातउन्हें ज़िद है कि मैं हँसते हुए रुखसत करूं उनको,
उन्हें ज़िद है कि मैं हँसते हुए रुखसत करूं उनको, मुझे डर है तुम्हारी आँख भर आई तो क्या होगा…!!
अज्ञाततुम क्या जानो बेवफाई की हद ये दोस्त,
तुम क्या जानो बेवफाई की हद ये दोस्त, वो हमसे इश्क सीखता रहा किसी और के लिए…!!
अज्ञातबड़ी सादगी से वो बेवफाई करके निकल गए,
बड़ी सादगी से वो बेवफाई करके निकल गए, हम वफाएं करके भी बस तंहा यूं ही रह गए…!!
अज्ञातटूटे ख्वाबों के सहारे, जी रहा हूं मैं,
टूटे ख्वाबों के सहारे, जी रहा हूं मैं, तेरी बेवफाई ने, जीना मुहाल कर दिया।
अज्ञातजिनके दिल में पहले से,
जिनके दिल में पहले से, बेवफाई छुपी होती है, वह अक्सर वफा के नाम से, डरते रहते हैं…!!
अज्ञाततुम ने किया न याद कभी भूल कर हमें
तुम ने किया न याद कभी भूल कर हमें हम ने तुम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया
बहादुर शाह ज़फ़र
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❤️ अपनी भावनाओं को शायरी में ढालें ❤️
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"शब्द वो पुल हैं, जो दिलों को जोड़ते हैं।"